सौरभ कृपाल (Saurabh Kripal) ने केंद्र सरकार (Central Government) को घेरने की कोशिश की है. उनका कहना है कि किसी भी जज (Judge) को उसके विचारों को आधार बनाकर अलग नहीं किया जा सकता है. किसी भी जज को उसकी अवधारणाओं और उसके विचारों के लिए अलग नहीं किया जा सकता है. क्योंकि हर जज का अपना अपना एक दृष्टिकोण होता है. अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने भारतीय न्यायालयों (Indian Courts) में वर्तमान जजों को आधार बनाया. उनके मुताबिक फिलहाल भारत के कोर्ट्स में अपर कास्ट (Upper Cast) और विषमलैंगिक (Hetrosexual Judge) जज बड़े पैमाने पर हैं. इन सभी के अंदर एक तरह का निश्चित पूर्वाग्रह है.
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